करीब 5 साल बाद लिखना .. लिखना तो नहीं भूला लेकिन नजरिया वो नही रहा जो पहले था.. चाह आगे बढने की कुछ करने की...
अनिल यादव
भगवान से आज फरियाद करता हूं कि मुझे अगले जन्म में लड़की बनाना... इसलिए नहीं कि मां बनकर किसी को अपनी ममता दूं या बहन बनकर अपने भाई से प्यार करुं । ये सब इसलिए कि मै भी तरक्की करना चाहता हूं। अब तो ऐसा लगने लगा है कि बिना लड़की बने कामयाबी की सीढ़ीयां शायद ही छूं पाऊ। इस फैसले पर मैं सुनी सुनाई बातों को सुनकर नहीं पहुंचा बल्कि इस फैसले पर पहुंचने के लिए मुझे करीब 20 साल लगे हैं । पहले अपने स्कूल में ये सब सहा पर स्कूल में टीचरों की लड़कियों पर मेहरबानी को समझ नहीं पाता था । क्योकि तब मै इतना सब समझदार नहीं था । पर कॉलेज तक जाते- जाते मैं सब समझने लगा था। कॉलेज तक जाते-जाते सारा माजरा समझ आने लगा था.. लेकिन जैसे ही कॉलेज से पास आउट होने के बाद मैने सोचा क्यों ना पत्रकार बनूं ये फैसला शायद मेरी जिंदगी का सबसे गलत फैसला था। मैने अपने खेल प्रेम को छोड़कर पत्रकारिता (so called ) चुनने का फैसला ले ही लिया। लेकिन पत्रकारिता चुनने के बाद तो भगवान से रोज फरियाद करता हूं कि जो कहते हैं की लड़कियों के लिए ये प्रोफेशन सेफ नहीं शायद वो आपको बहका रहे हैं । ऐसा नहीं है कि लड़कियां टेलेंटड नहीं है , पर आज जो लड़कियां इस लाइन में कदम रख रही हैं उनमे से ज्यादातर लड़किया शार्ट कर्ट अपनाने से परहेज नहीं करती या यू कंहे कि हालात ऐसे खड़े कर दिए जाते है । कि ना चाहते हुए भी अपनी हदे पार कर जाती हैं। मैने देखा कि छोटे-छोटे काम को लेकर लड़कियों कि इतनी तारीफ होती है । कि मानों शायद या तो वो बराक ओबामा का इंटरव्यू हिंदी में ले आईं हो या फिर ओसामा बिन लादेन का फोनो तालिबान की खबर पे दिलवा दिया हो। पर भाई मुझे नहीं पता की मुझे ये देख कर क्यों बुरा लगता है । भई वो तो लड़की है और मै एक लड़का तो भला मै कैसे बुरा मान सकता हूं। कुछ लड़कीयो की इस शार्ट कामयाबी को देखकर बेचारी शरीफ लड़कियां भी उस ओर बढ़ने लगी। पर ऐसा नहीं की सभी लड़कियों की ये दास्तान है । पर मै तो इंसान हूं बुराई जल्दी दिखती है । अच्छाई देखते वक्त तो मेरी आंखो पर पर्दा डल जाता है । ऐसी लड़कियां भी हैं जिन पर शायद ये बात बिल्कुल लागू नहीं होती। अब कम से कम ये तो समझ चुका हूं कि अगर कोई सगा-संबधी मुझसे इस लाइन में आने की सोच रहा होगा तो उसकी आखों पर से अंधविश्वास की पट्टी उठा दूंगा या फिर कहुंगा कि मेरी तरह फरियाद कर और इंतजार कर लड़की बनने का फिर आगे सोचना । या यूं कहे की मै आने वाली यूथ ब्रिगेड को अपने कम्पीटिशन में देखना ही नहीं चाहता। अब मै ये तो खुलासा नहीं कर सकता की ऐसा मैने क्या देख लिया की ये सब सोचने लगा । मै सिर्फ इतना ही कहुंगा की कोई ऐसे ही फैसलों पर नहीं पहुंचता ... हा एक बात और की फैसले बुरे नहीं होते बुरे तो नतीजे होते हैं।
अनिल यादव
जिंदगी ने इतनी खुशी दी थी कि दुखों भी हंसी में उड़ा देता था। पर जिंदगी में कुछ ऐसे लोग मिले की अब लोगों को पहचानने लगा हूं। मै कभी जिंदगी में सोच भी नहीं सोच सकता था की मेहनत करने वाले भी यूं अपना जमीर बेच सकते हैं। जमीर बेचना तो छोटी सी बात है। लोगो ने तो पता नहीं अपना क्या क्या बेच दिया। मैने कुछ दिन पहले ऐसी आर्गेनाइतज़ेशन छोड़ी या यूं कहे हालात ने अपने आप हमे निकाल दिया। लेकिन भगवान ने शायद हमारे बारे में सही ही सोचा था। ये आर्गेनाइतज़ेशन नहीं कुत्ते बिल्लियों की जमात थी। यहा के लोग पॉलिटिक्स में इतने माहिर थे कि राज ठाकरे भी इनके बौना लगेगा.. इन लोगों में इंसानियत तो शायद थी ही नहीं । ये मालिक के लिए किसी भी हद तक गिर सकते थे । लेकिन कुदरत का खेल तो देखिए यहां के मालिक भी कपड़ों की तरह बदलते जा रहे थे। यहां एक स्ट्राइक हुई उस दौरान तो ना जाने क्या क्या हुआ। उसके वो आर्गेनाइज़ेशन बंद हो गई । इसके बाद यहां ऐसे लोग काम करने लगे है कुछ विदेशी भी.. जिन्होने इस मीडिया हाउस को बंद करवाने में अहम भूमिका निभाई थी.. और कई ऐसे जिन्हे हिन्दी के क का ज्ञान नहीं लेकिन आज बहुत उंचे पद पर विराज गए है। कुछ ने हमे तो अपना समझ कर हमे तो लगा दिया काम पर लेकिन भगवान करे कि ये आर्गेनाइज़ेशन ठीक हो जाए। क्योंकि आज भी यहां बहुत अच्छे लोग हैं।
अनिल यादव
हर कोई अपने बॉस को कोसता रहता है... पता नहीं क्यों॥ आपको पता है कि बॉस बनने में नहीं बल्कि बॉस बने रहने में कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं। तो हम आपको बताते है कि क्या-क्या करना पड़ता है। १. बॉस की हर बात में हां मिलाना
२.चीखना चिल्लाना और गंदा माहौल क्रिएट करना
३. काम करना नहीं.... पर काम करते दिखना
4। बॉस से सारा क्रेडिट खुद लेना... जूनियर के काम का क्रेडिट लूटना
5। कोई गलत काम होने पर अपना पल्ला झाड़ना
6। पूरे दिन खाली बैठना पर बॉस के एंटर करते ही एक्टीव हो जाना
6। पूरे के पूरे काम को खुद के लिए कैश करना... पर उन्हे ये नहीं पता की बाकी टीम ने भी इसके लिए मेहनत की है।
7। दिन में चाहे अपना काम पूरा ना हो पर बॉस के पास हाजिरी लगाने टाईम से पंहुचना ........
ये सब सुनने के बाद शायद आपको अपने बॉस की मेहनत का पता चल गया होगा तो प्लीज बॉस के आगे से चीखने चिल्लाने को गलत मत समझे सिर्फ उसे अपनी नजरों से गिरा दें और ऑफिस में उठा दे ... क्योंकि ऐसे बॉस सदियों में जन्म लेते है।
* सभी बॉसस के लिए लागू नहीं सिर्फ कुछ हवाबाजों के लिए
अनिल यादव
सहवाग थोड़ा सा संभलो अब लगता है कि आप भी पॉलिटिक्स में कदम रखना चाहते है । शुरुआत तो आपने कर ही दी है। जिस दिल्ली ने आपको इतना सम्मान दिया जिसकी बदौलत आप यहां तक पहुंचे उसी को छोड़ने की बात करते हो । जब तक आप भाई भतीजों का सलेक्शन टीम में हो रहा था तब तक आप खुश थे। लेकिन अब आपको अचानक क्या हो गया। अब धमकी देते हो की दिल्ली की टीम से नहीं खेलोगे । आपका बड़प्पन तब माना जाएगा जब आप इंडिया की टीम से भी ना खेलने की धमकी दें । लेकिन आप ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योकि,, साथ ही साथ शर्म आनी चाहिए ईशांत, गंभीर और नेहरा को भी जो सहवाग के सुर में सुर मिलाने लगे हैं। तीनों खिलाड़ियों को शर्म आनी चाहिए क्योंकि तुम तीनों को अब क्या हो गया पहले कुछ नहीं दिखाई दिया लेकिन सहवाग के उछलते ही आप भी उछलने लगे क्यों पहले आप अन्याय सहते रहे अब आपने ऐसा क्या देख लिया। कुछ तो शर्म करो।
अनिल यादव
एक रात मुझे सपना आया कि मै एक चैनल में सीनियर पोस्ट पर पहुंच चुका था। वो सपना मेरी जिंदगी के सबसे अच्छे सपनों में से एक था । क्योंकि मेरी तो जिंदगी ही बदलती जा रही थी ( सपने में ) मै भी ताव में आने लगा था , मेरे भाव धीरे-धीरे आसमान छूने लगे थे , बिना कोई बात के मै भी चिल्लाना सीख रहा था । क्योंकि अगर मैं नहीं चिल्लाउंगा तो मुझे कोई हेड ही नहीं समझेगा और मैं ये भी भूल चुका था कि मै भी इसी जगह से हूं। अब मेरे हाथ में जादू आ चुका था कि जिसको छू लूं तो कुछ भी बना दूं मै अपने आपको भगवान से भी उपर समझने लगा था । मैं अपनी इंसानियत भूलता जा रहा था । मैं अब अपनी नीचता पर उतरता जा रहा था । अब मुझे हर लड़की में एंकर के गुण दिखते थे । क्योंकि एंकर बनने के लिए के ज्ञान या आवाज की जरुरत नहीं होती । एंकर बनने के लिए तो सिर्फ जरुरत होती है तो सुंदर से चेहरे की । अगर आप आज की न्यूज से अपडेट नहीं तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा बशर्ते की आप आज सुंदर दिख रहीं हों।और मेरे करीब हो तो सब ठीक रहेगा लेकिन अगर किसी और के साथ देख लूंगा तो शामत आ जाएगी आपकी । करीब का मतलब आप गलत तो नहीं लगा रहे आपका क्या आप तो कुछ भी सोच और कह सकते हो । गलत मतलब मत लिजिएगा क्योंकि फितरत पर आप सवाल नहीं उठा सकते । मेरी नींद टूट गई साथ ही साथ मेरा सपना भी चलों अच्छा हुआ मेरा सपना टूट गया क्योंकि कब तक मै ये सब करता नींद खुलते ही मुझे अपने आप पे शर्म आ गई क्योंकि मै ये सब सोच भी कैसे सकता था ।