अनिल यादव

भगवान से आज फरियाद करता हूं कि मुझे अगले जन्म में लड़की बनाना... इसलिए नहीं कि मां बनकर किसी को अपनी ममता दूं या बहन बनकर अपने भाई से प्यार करुं । ये सब इसलिए कि मै भी तरक्की करना चाहता हूं। अब तो ऐसा लगने लगा है कि बिना लड़की बने कामयाबी की सीढ़ीयां शायद ही छूं पाऊ। इस फैसले पर मैं सुनी सुनाई बातों को सुनकर नहीं पहुंचा बल्कि इस फैसले पर पहुंचने के लिए मुझे करीब 20 साल लगे हैं । पहले अपने स्कूल में ये सब सहा पर स्कूल में टीचरों की लड़कियों पर मेहरबानी को समझ नहीं पाता था । क्योकि तब मै इतना सब समझदार नहीं था । पर कॉलेज तक जाते- जाते मैं सब समझने लगा था। कॉलेज तक जाते-जाते सारा माजरा समझ आने लगा था.. लेकिन जैसे ही कॉलेज से पास आउट होने के बाद मैने सोचा क्यों ना पत्रकार बनूं ये फैसला शायद मेरी जिंदगी का सबसे गलत फैसला था। मैने अपने खेल प्रेम को छोड़कर पत्रकारिता (so called ) चुनने का फैसला ले ही लिया। लेकिन पत्रकारिता चुनने के बाद तो भगवान से रोज फरियाद करता हूं कि जो कहते हैं की लड़कियों के लिए ये प्रोफेशन सेफ नहीं शायद वो आपको बहका रहे हैं । ऐसा नहीं है कि लड़कियां टेलेंटड नहीं है , पर आज जो लड़कियां इस लाइन में कदम रख रही हैं उनमे से ज्यादातर लड़किया शार्ट कर्ट अपनाने से परहेज नहीं करती या यू कंहे कि हालात ऐसे खड़े कर दिए जाते है । कि ना चाहते हुए भी अपनी हदे पार कर जाती हैं। मैने देखा कि छोटे-छोटे काम को लेकर लड़कियों कि इतनी तारीफ होती है । कि मानों शायद या तो वो बराक ओबामा का इंटरव्यू हिंदी में ले आईं हो या फिर ओसामा बिन लादेन का फोनो तालिबान की खबर पे दिलवा दिया हो। पर भाई मुझे नहीं पता की मुझे ये देख कर क्यों बुरा लगता है । भई वो तो लड़की है और मै एक लड़का तो भला मै कैसे बुरा मान सकता हूं। कुछ लड़कीयो की इस शार्ट कामयाबी को देखकर बेचारी शरीफ लड़कियां भी उस ओर बढ़ने लगी। पर ऐसा नहीं की सभी लड़कियों की ये दास्तान है । पर मै तो इंसान हूं बुराई जल्दी दिखती है । अच्छाई देखते वक्त तो मेरी आंखो पर पर्दा डल जाता है । ऐसी लड़कियां भी हैं जिन पर शायद ये बात बिल्कुल लागू नहीं होती। अब कम से कम ये तो समझ चुका हूं कि अगर कोई सगा-संबधी मुझसे इस लाइन में आने की सोच रहा होगा तो उसकी आखों पर से अंधविश्वास की पट्टी उठा दूंगा या फिर कहुंगा कि मेरी तरह फरियाद कर और इंतजार कर लड़की बनने का फिर आगे सोचना । या यूं कहे की मै आने वाली यूथ ब्रिगेड को अपने कम्पीटिशन में देखना ही नहीं चाहता। अब मै ये तो खुलासा नहीं कर सकता की ऐसा मैने क्या देख लिया की ये सब सोचने लगा । मै सिर्फ इतना ही कहुंगा की कोई ऐसे ही फैसलों पर नहीं पहुंचता ... हा एक बात और की फैसले बुरे नहीं होते बुरे तो नतीजे होते हैं।
7 Responses

  1. कोई बात नही भाई निराश मत हो, रास्ते और भी है सफ़लता के। मेरी शुभकामनायें, प्रभात खबर से वाकिफ़ हुआ आप के ब्लाग से


  2. achchha likha hai... per likha vo hai jo sab jante hai.... bhai ladkiyo ko unki tarah se aange bande do.... mard mard ki tarah aange badenge

    Rahul yadav
    navbharat times
    9654741530


  3. arpita Says:

    aap ki soch kuch had tak sahi ho sakti h par 100 fisdi sahi nahi h. me 1 ladki hu, patrakar hu .mene kabhi short cut nahi apnaya. bia n rahe.
    best luck 4 bright future


  4. बहुत अच्छा लिखा है पर इस संसार में तरह तरह के लोग है लडका लडकी की बात न सोचते हुए कर्म करे अपनी लगन व मेहनत से आगे बढे शार्टकट की राह लडका व लडकी दोनो के लिए दुखदायी हो सकती है।


  5. क्या लिखा है आप ने मेरे दोस्त लिखते जाओ मजिल कदम चूमेगी एक दिन

    rajnish


  6. kuchh-kuchh sachcha -kuchh-kuchh jhoota .sanghash kijiye -vijay aapki hogi .mere blog ''vicharonkachabootra'' par aapka hardik swagat hai .